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स्मदे॒तया॑ सुकी॒र्त्याश्वि॑ना श्वे॒तया॑ धि॒या । वहे॑थे शुभ्रयावाना ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

smad etayā sukīrtyāśvinā śvetayā dhiyā | vahethe śubhrayāvānā ||

पद पाठ

स्मत् । ए॒तया॑ । सु॒ऽकी॒र्त्या । अश्वि॑ना । श्वे॒तया॑ । धि॒या । वहे॑थे॒ इति॑ । शु॒भ्र॒ऽया॒वा॒ना॒ ॥ ८.२६.१९

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:26» मन्त्र:19 | अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:29» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:4» मन्त्र:19


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शिव शंकर शर्मा

राजा कैसा हो, यह इससे दिखलाते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (शुभ्रयावाना) जिनका गमन शुद्ध हिंसारहित और प्रजाओं में उपद्रव न मचानेवाला हो, ऐसे (अश्विना) राजा और मन्त्रिदल (एतया+सुकीर्त्या) इस सांसारिक सुकीर्ति से युक्त हों (स्मत्) और वे शोभन रीति से प्रजाओं के क्लेश की जिज्ञासा के लिये इधर-उधर यात्रा करें और (श्वेतया+धिया) शुद्ध बुद्धि से प्रजाओं का भार (वहेथे) उठावें ॥१९॥
भावार्थभाषाः - जो शुभ कीर्तियों से युक्त हों, जिनकी बुद्धि विमल हो और प्रजाओं के भारवहन में धुरन्धर हों, वे राजा हैं ॥१९॥
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शिव शंकर शर्मा

राजा कीदृशो भवेदिति दर्शयति।

पदार्थान्वयभाषाः - हे शुभ्रयावाना=शोभनगमनौ। अश्विना=अश्विनौ। एतया सुकीर्त्या सह। युवाम्। स्मत्=शोभनम्। आगच्छतम्। श्वेतया=शुक्लया। धिया=कर्मणा सह। वहेथे=प्रजानां धुरं वहतम् ॥१९॥